कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Thursday, December 25, 2014
आने जाने के काबिल कहां हो अब तुम !!
कलम से_____
मेरे ख्वाबों में आना तो आसां है
मिलने कैसे आओगे आज रात
लगा जो रखी है मेहंदी
आने जा
ने के
काबिल कहां हो अब तुम !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
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Ajay Jain
,
Ajai Kumar Khare
,
Ramesh Chandra
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Ram Saran Singh
आदरणीय यह रचना और छाया चित्र देख कर मुझे ताजमहल फ़िल्म का गीत याद आ गया । " पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी,,,,,,," बहुत बढ़िया धन्यवाद ।
Yesterday at 8:27am
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Rp Singh
अच्छी पोस्ट
Yesterday at 8:31am
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Prem Prakash Goswami
Lajabab
Yesterday at 9:06am
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BN Pandey
milane wale kisi ki parvaah kub karate hai...................
Yesterday at 9:18am
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Dinesh Singh
बहुत ही सुंदर --
23 hrs
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Rajan Varma
'मेरे पावों में मेंहदी लगी है,
आने-जाने के काबिल नहीं हैं';
पर इतनी शिद्दत से बुलाअोगे तो मैं कदाचित् भूल ही जाऊँगी कि पावों में मेंहदी लगी है-
फ़िर न कहना 'ये पाँव ज़मीं पर क्यों रखे, मैले हो गये'!!!!!
23 hrs
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आशीष कैलाश तिवारी
ख्वाबों में मेंहदी...! क्या कहने....! लिल्लाह....
23 hrs
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आशीष कैलाश तिवारी
पांव पाकीज़ा के हैं??.. माननीय मित्रवर कुछ कहें..!
23 hrs
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Rajan Varma
अब सबकिछ हमैं बता दइहैं तो आप का तोप चलइहैं???
22 hrs
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Javed Usmani
बहुत सुंदर
22 hrs
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Harihar Singh
बहुत सुन्दर
22 hrs
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Neeraj Saxena
Bahut sunder
21 hrs
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Ajay Kr Misra
वाह,बहुत खूब सर।
20 hrs
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