कलम से____
सुबह सुबह
के यह पल
सबको नसीब
नहीं होते
जिसको होते हैं
बस यह उसके होते हैं
बाकी तो दुनियां
जहान सोते रहते हैं
खुदा की नेमत से
मरहूम रहते हैं
चिड़ियों का चहचहाना
उनका खिलखिला के हँस पड़ना
फूलों का मुस्कुराना
फिज़ाओं में रंग भर देना
बस उसको आता है
या फिर
मेरे मन को भाता है
तू नहीं है उठता
जीवन में बहुत कुछ
है तेरा जो
लुटता रहता है ।
के यह पल
सबको नसीब
नहीं होते
जिसको होते हैं
बस यह उसके होते हैं
बाकी तो दुनियां
जहान सोते रहते हैं
खुदा की नेमत से
मरहूम रहते हैं
चिड़ियों का चहचहाना
उनका खिलखिला के हँस पड़ना
फूलों का मुस्कुराना
फिज़ाओं में रंग भर देना
बस उसको आता है
या फिर
मेरे मन को भाता है
तू नहीं है उठता
जीवन में बहुत कुछ
है तेरा जो
लुटता रहता है ।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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