कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, December 14, 2014
मंदिर में फूल चढ़ाने के नाम पर
मंदिर में फूल चढ़ाने के नाम पर
न जाने कितने गुलशन बरबाद किए हैं
तब जाकर कहीं इतने फूल इकट्ठे हुए हैं !!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
.
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Nagendra Singh Nagendra
,
Sunil S Dass
,
Sp Tripathi
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Rajan Varma
ग़र फ़ूलों से खुश हुये होते भगवान, तो अब तक हो जाने चाहियें थे,
न जाने कितनी सदियों से फूलों की चादर अोढ़ाते रहे हैं हम लोग;
पर शायद हमें सस्ते उपाये चाहिये, रूठे रॅब को मनाने के,
तो क्या ग़लत करते हैं पंडे, हमें ये रास्ता दिखा कर- जो कहीं जाता ही नहीं!!!
December 10 at 5:24pm
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Rp Singh
sahi baat
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December 10 at 5:25pm
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Anand H. Singh
Sooch ke liye daad. Bahut khoob.
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December 10 at 5:33pm
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Ram Saran Singh
महोदय । फूल तो इकट्ठे हो गए पर भगवान मिला या नहीं संदेहास्पद है । वर्मा जी ने ठीक ही कहा कि जो रास्ता कहीं जाता ही नहींं । लेकिन यह भी है कि गुलशन यूँ ही उजड़ते भी रहेंगे । जन्म और जन्मांतर तक । धन्यवाद
December 10 at 5:39pm
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S.p. Singh
सिंह साहब और मेरे सभी मित्रों मैं भी यही कह रहा हूँ कि बगिया तो उजड़ गई पर ईष्ट न हिले न डुले और न खुश हुए। कुछ लोग इसे न मानें, पर है यह अकाट्य सत्य।
December 10 at 7:26pm
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BN Pandey
SHUBHAAN ALLAAAAH.
December 11 at 9:24am
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Dinesh Singh
वाह बहुत ही शानदार
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December 11 at 9:30am
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