कलम से___
माना कि
अभी कुछ देर
और रुकना होगा
भोर की प्रथम किरण
निकलने में
यही पल दो पल हैं
जिन्हें जीना है।
अभी कुछ देर
और रुकना होगा
भोर की प्रथम किरण
निकलने में
यही पल दो पल हैं
जिन्हें जीना है।
इन्ही पलों की
खातिर तड़पते रहे हैं
हम,
हमको यह पल अब
जीना है।
खातिर तड़पते रहे हैं
हम,
हमको यह पल अब
जीना है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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