कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, December 14, 2014
पुरानी हवेली में अभी भी है, सब कुछ मेरा।.
कलम से_____
परतों में दबा दबा सा है, एक ख्वाब मेरा,
पुरानी हवेली में अभी भी है, सब कुछ मेरा।
...
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Puneet Chowdhary
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Narendera Pal Singh
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Lalji Bagri
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Harihar Singh
दावे भले ही लाख हो पर हैं नही सही
मुमकिन है तेरी झूठ की लिखी हो ये बही
कछु आज कुछ कल सब मालूम पडेगा
देखेंगे तेरे वादे पर खुद तुझको कितना रहा यकी
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December 9 at 2:52pm
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Dinesh Singh
बहुत सुंदर
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December 9 at 2:58pm
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Puneet Chowdhary
Sir still missing village
December 9 at 3:26pm
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Ram Saran Singh
महोदय हवेली इतनी ख़ूबसूरत है कि इसे भुला पाना कठिन है । दूसरी बात है कि यह आपके सपनों की हवेली हैं जहाँ सपने बुने गए होंगे, साकार हुए होंगे तो इससे बिलग होना मुश्किल है । हाँ इसे समय के प्रहार से बचाना ज़रूरी है । धन्यवाद ।
December 9 at 3:30pm
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Ajay Kr Misra
अपने बचपन के आशियाने में
बहुमूल्य यादेँ समेटने का
खूबसूरत उद्गार।
श्री राधे राधे।
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December 9 at 4:06pm
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Baba Deen
very nice
December 9 at 5:17pm
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Baba Deen
nayi nav din ,purani sab din
December 9 at 5:18pm
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Raj Gupta
सुन्दर ,बहुमूल्य यादेँ
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December 9 at 9:13pm
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BN Pandey
BUS YAHI DABI HUYEE YAADE HAI JO AKELE PAN ME BHI SADAA ANAND KE SAATH JINE KAA SABAB BANATI HAI .....VARANAA ES JHUTHI DUNIA ME RAKKHAA KYAA HAI...
December 10 at 9:03am
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S.p. Singh
सही फरमाया है।
December 10 at 9:05am
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