कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Wednesday, December 24, 2014
ढूँढो मिल जाएंगे रखे हुए कहीं न कहीं दो एक दिये
कलम से_____
ढूँढो मिल जाएंगे रखे हुए कहीं न कहीं दो एक दिये,
इस उजड़ी हुई हवेली में उजाले के लिए काफी हैं !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
BN Pandey
and
Puneet Chowdhary
.
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BN Pandey
,
Lalji Bagri
,
Akhilesh Mishra
and
27 others
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Jitendra Kakkar
सफर अन्धेरा पीछे छोड़ देता है
December 14 at 4:55pm
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उम्दा क़ता
December 14 at 4:59pm
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S.p. Singh
धन्यवाद जितेंद्र जी।
December 14 at 5:20pm
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S.p. Singh
धन्यवाद आनंद भाई जी।
December 14 at 5:21pm
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S.p. Singh
हृदय से धन्यवाद डाक्टर साहब आपका।
December 14 at 5:21pm
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Brahmdeo Prasad Gupta
ek chirag kafi hai andhere ko bhagane ko.
December 14 at 5:49pm
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Rp Singh
uttam
December 14 at 5:49pm
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Ajay Kr Misra
कभी रौशन थी हवेली।
आज उजाले के लिये खोजता है,एक दो दिया।
काल चक्र पर खूबसूरत प्रस्तुति।
December 15 at 12:47am
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Edited
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Ram Saran Singh
आदरणीय रोशनी के लिए भौतिक दिए से ज़्यादा अंतरतम में धड़कता दिल चाहिए जो आपमें है और हवेली को रोशन करता रहेगा । धन्यवाद ।
December 14 at 6:25pm
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Rajan Varma
बचपन से जवानी तक, कई साल गुज़रे हैं इस हवेली में,
चप्पा-चप्पा छपा है ज़ेहन में, रसोई के आले में रखा है चिराग-
कर लो रौश्न हवेली- रात-भर का होगा तेल चिराग में;
December 14 at 6:26pm
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S.p. Singh
धन्यवाद गुप्ता सर जी।
December 14 at 7:09pm
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S.p. Singh
धन्यवाद आर पी सिंह साहब।
December 14 at 7:11pm
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S.p. Singh
धन्यवाद अजय।
December 14 at 7:11pm
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S.p. Singh
हार्दिक धन्यवाद सिंह साहब सही कहा आपने कि अंतरतम में धडकता दिल चाहिए।
December 14 at 7:13pm
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S.p. Singh
धन्यवाद गुप्ता सर जी।
December 14 at 7:13pm
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S.p. Singh
सही कहा राजन, कहीं एक आला होता था चौके के पास जिसमें एक दिया रात भर जलता था रौशनी के लिए।
December 14 at 7:14pm
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Dinesh Singh
-बहुत ही सुंदर --
December 15 at 10:02am
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BN Pandey
diye jalate hai...dil milate hai.
December 17 at 10:17am
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