कलम से____
निगाह मेरी पडी
नवयुवक एक रहा होगा
कोई अच्चीस पच्चीस के
आसपास
घुटने पर बैठकर
भेंट दे रहा था
गुलाब का पुष्प
सुदंर सी बालिका को
कहते हुए उसे सुना
बहुत चढाए हैं फूल
पत्थर के भगवान पर
न वो हँसा न वो रोया
इसलिए प्रिये
स्वीकार करो या ठुकराओ
है यह अधिकार तुम्हें
सुनकर बात स्पष्ट
स्वीकार किया पुष्प
सहृदय बालिका ने
धन्यवाद अलग से दिया
यह कहकर "थैंकयू"।
नवयुवक एक रहा होगा
कोई अच्चीस पच्चीस के
आसपास
घुटने पर बैठकर
भेंट दे रहा था
गुलाब का पुष्प
सुदंर सी बालिका को
कहते हुए उसे सुना
बहुत चढाए हैं फूल
पत्थर के भगवान पर
न वो हँसा न वो रोया
इसलिए प्रिये
स्वीकार करो या ठुकराओ
है यह अधिकार तुम्हें
सुनकर बात स्पष्ट
स्वीकार किया पुष्प
सहृदय बालिका ने
धन्यवाद अलग से दिया
यह कहकर "थैंकयू"।
पुष्प भी मुस्कुरा पड़ा
अपनी किस्मत पर....
अपनी किस्मत पर....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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