कलम से____
बर्फ की चादर ओढ़ कर
किया है तेरा इंतजार
अब तो आजा भी सनम
मौसम से कर ले थोड़ा प्यार...
किया है तेरा इंतजार
अब तो आजा भी सनम
मौसम से कर ले थोड़ा प्यार...
मौसम ने ली अंगड़ाई है
सर्दी झप से आई है
बरसात साथ ले आई
गरम कपड़ो की याद आई है
हैन्ड ग्लोब्ज नहीं निकले थे
अब करनी पड़ी ढुढांई है
चलो निकल चलें ऐसे में बाहर
सुदंर चलती बयार है
दांत कटकटाती
सरदी की अभी हुई
शुरूआत है .....
सर्दी झप से आई है
बरसात साथ ले आई
गरम कपड़ो की याद आई है
हैन्ड ग्लोब्ज नहीं निकले थे
अब करनी पड़ी ढुढांई है
चलो निकल चलें ऐसे में बाहर
सुदंर चलती बयार है
दांत कटकटाती
सरदी की अभी हुई
शुरूआत है .....
मौसम ने ली अंगड़ाई है....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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