कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Wednesday, December 24, 2014
यहाँ अंधेरे-ही अंधेरे बसते हैं !!
कलम से____
किसने की है कोशिश मेरी तन्हाइयों में झांकने की
सभँल के आना यहाँ अंधेरे-ही अंधेरे बसते हैं !!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
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Krishna Kumud Tewari
,
Lalji Bagri
,
Bholeshwar Upmanyu
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Rp Singh
adbhut
December 18 at 4:58pm
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Rajan Varma
हाथों से बुलाते हो, पैरों से धक्कियाते हो,
अँधेरे अौर आपके द्वार?
सीधे ही मना कर देते जनाब, इशारा ही काफ़ी था हमारे लिये!!!
December 18 at 5:55pm
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आशीष कैलाश तिवारी
वो मारा....! क्या बात कही है राम भैया...!!!
December 18 at 5:55pm
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Rajender Gaur
bakaul SHARIF:(
December 18 at 7:46pm
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Harihar Singh
अंधेरों में चिरागों की हम उम्मीद करते हैं
भले दामन फटा हो फिरभी सिर को ढकते है
क्या पता गुलजार हो जाये चमन
हम उस घडी का आज भी इन्तजार करते हैं
December 18 at 9:25pm
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Harihar Singh
राजन वर्मा जी:-
इशारों से बुलाया था मगर तुम न समझ पाये
खुला दरवाजा था मेरा मगर तुम न समझ पाये
लगा तोहमत नही मुझपर भला ऐसा भी होता है
तुम्हारे वास्ते जागे थे हम मगर तुम न समझ पाये
December 18 at 9:32pm
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Rajan Varma
भाई साहब की जगह आपका जवाब नहीं चलेगा- हरिहर भाई
December 18 at 9:43pm
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BN Pandey
mai confuse hu ki sp singh sb. ne ye post vishesh taur per varma sb ke liye bhejaa hai yaa harihar singh ji ke liye.................jo bhi ho hame to aam khaane se matlab ...........mazaa aa gayaa............aap trimurti ko meraa sadar naman...........
December 19 at 8:51am
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S.p. Singh
रात गई बात गई
हम तो गए थे सो।
हमारे भाई आपस में शगल करते रहे।
December 19 at 8:54am
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Dinesh Singh
वाह वाह बहुत ही सुन्दर
December 19 at 11:21am
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Puneet Chowdhary
Highly meaningful and top class lines
December 20 at 9:53am
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