कलम से_____
रात काटे से नहीं कटती
पूरी पूरी रात बस वो
दिखता है, सुला कर आये हैं
जिसे हम
वह आखों में समाया
रहता है
जिन्दगी हुई है भारी
कटेगी कैसे बिन उसके
समझ कुछ नहीं आता
करें तो क्या करें
कोई भी कुछ है नहीं बताता........
पूरी पूरी रात बस वो
दिखता है, सुला कर आये हैं
जिसे हम
वह आखों में समाया
रहता है
जिन्दगी हुई है भारी
कटेगी कैसे बिन उसके
समझ कुछ नहीं आता
करें तो क्या करें
कोई भी कुछ है नहीं बताता........
(बस और नहीं। बस और नहीं। शुभरात्रि.....)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//.
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