Friday, September 5, 2014

09 04 2014

Good morning dear friends.
सुप्रभात दोस्तों ।
09 04 2014

कलम से____

आज कबीर का दोहा याद हो आया जो हमने बचपन में पढ़ा था । कल बड़ी सार्थक चर्चाएं फेसबुक पर देखने को मिलीं। उसी सोच आगे बढ़ाते हुए आज मुझे कहना है कि :-

कबीर ने बाह्य आडम्बरो का विरोध किया है | उन्होंने हिंदू -मुसलमान दोनों के बाह्य दिखावे का विरोध किया है | आत्म ज्ञान पर बल दिया है | प्रेम ,सदभाव परोपकार ,दया आदि पर बल दिया है | वे कर्म करना आवश्यक मानते है | वे चाहते हैं कि जिसके पास धन -दौलत है ,वह समाज के उस वर्ग की सहायता करे जिसके पास साधन नही हैं |

कहा है ------- " जो जल बाढ़े नाव में घर में बाढ़े दाम , दोऊ हाथ उलीचिए यह सज्जन का काम |"

अपनी बात :

आजकल फेसबुक पर
नालेज शेयरिंग का दौर चल रहा है
मेरा मित्र आशीष बहुत सुंदर ज्ञान बाँट रहा है
कभी इधर उधर भटक जाता है
राह सही पकड
फिर सीधा हो जाता है।

मेरे जेहन में एक प्रश्न आता है
सच है, जो वह बतलाता है
कहाँ से प्रमाण लाएगा
अपनी बात साबित कैसे कर पाएगा
दुश्मनों ने नेस्तनाबूद कर दिए थे
जेहाद के नाम पर
न जाने कितने घर मंदिर उजाड दिए थे
सभ्यता के निशान मिट जो गए हैं
कैसे बनेगें ?

अब नहीं बन सकेंगे
दरार जो आगई है कैसे पटेगी
मिलजुल कर अगर हम न चलेगें।

एक झुक जाए
समस्या हल हो जाएगी
वरना तो तस ही तस ही रह जाएगी
सियासी अखाड़ा बन गया है
खेल बना बनाया बिगड़ गया है।

मानवता के क्रमिक विकास की कहानी - आदमी में परिवर्तन की निशानी को सहज कर रखने की जिम्मेदारी हम सभी की बनती है।

सियासत को सभंल कर चलना होगा आपसी भाईचारा और सहिष्णुता को बढ़ावा देना होगा।चुनावी महौल बनाते वक्त हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: Good morning dear friends.
सुप्रभात दोस्तों ।
09 04 2014

कलम से____

आज कबीर का दोहा याद हो आया जो हमने बचपन में पढ़ा था । कल बड़ी सार्थक चर्चाएं फेसबुक पर देखने को मिलीं। उसी सोच आगे बढ़ाते हुए आज मुझे कहना है कि :-

कबीर ने बाह्य आडम्बरो का विरोध किया है | उन्होंने हिंदू -मुसलमान दोनों के बाह्य दिखावे का विरोध किया है | आत्म ज्ञान पर बल दिया है | प्रेम ,सदभाव परोपकार ,दया आदि पर बल दिया है | वे कर्म करना आवश्यक मानते है | वे चाहते हैं कि जिसके पास धन -दौलत है ,वह समाज के उस वर्ग की सहायता करे जिसके पास साधन नही हैं |

कहा है ------- " जो जल बाढ़े नाव में घर में बाढ़े दाम , दोऊ हाथ उलीचिए यह सज्जन का काम |"

अपनी बात :

आजकल फेसबुक पर
नालेज शेयरिंग का दौर चल रहा है
मेरा मित्र आशीष बहुत सुंदर ज्ञान बाँट रहा है
कभी इधर उधर भटक जाता है
राह सही पकड 
फिर सीधा हो जाता है।

मेरे जेहन में एक प्रश्न आता है
सच है, जो वह बतलाता है
कहाँ से प्रमाण लाएगा 
अपनी बात साबित कैसे कर पाएगा
दुश्मनों ने नेस्तनाबूद कर दिए थे
जेहाद के नाम पर 
न जाने कितने घर मंदिर उजाड दिए थे
सभ्यता के निशान मिट जो गए हैं
कैसे बनेगें ?

अब नहीं बन सकेंगे
दरार जो आगई है कैसे पटेगी
मिलजुल कर अगर हम न चलेगें।

एक झुक जाए 
समस्या हल हो जाएगी
वरना तो तस ही तस ही रह जाएगी
सियासी अखाड़ा बन गया है
खेल बना बनाया बिगड़ गया है।

मानवता के क्रमिक विकास की कहानी - आदमी में परिवर्तन की निशानी को सहज कर रखने की जिम्मेदारी हम सभी की बनती है।

सियासत को सभंल कर चलना होगा आपसी भाईचारा और सहिष्णुता को बढ़ावा देना होगा।चुनावी महौल बनाते वक्त हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Harihar Singh शुभ प्रभात राधे राधे जीSee Translation
  • Brahmdeo Prasad Gupta nice ,good morning
  • Brahmdeo Prasad Gupta destructive acts leads to destruction one can only develop if he thinks of others development,nature is a good balancing force just wait for some time destructive forces are in self destructive mode.
  • Neelesh B Sokey वाह वाह! नमस्कार।
  • S.p. Singh गुप्ता साहब आपके मुँह में घी शक्कर क्या बढ़िया कहा है आपने सबेरे सबेरे ।
  • S.p. Singh नमस्कार मित्रों ।
  • आशीष कैलाश तिवारी कलम से आग लगाना इसे कहते हैं See Translation
  • S.p. Singh चलो लगी तो सही आग कहीं, धुआँ देखेंगे दिन में तब पता लगेगा ।
  • BN Pandey KABEER DAS JI NE KAHA THAA " KARU MAI SIZADAA BUTO KE AAGE TU AI BIRAHMAN KHUDAA -KHUDAA KER.........AAJ KE ZAMAANE ME ...KYAA HAI KISI SIYAASI DAA KE BHITAR KUBAA YE MAANANE KI............CHOR NETAA VOTE KI RAAJNITI KE NAAM PER APANAA ZAMEER BECH DIYE HAI.........
  • Rajan Varma 'ये सृष्टि उस super-conscious-vital-life-force- (जिसे हम ईश्वर/परमात्मा/अल्लाह/वाहिगुरू अौर भी न जाने कितने ही नामों से याद करते हैं)- जो इसका उत्पादन-कर्त्ता, संचालन-कर्त्ता, विनाश-कर्त्ता है वो इसे अपने मन-माफ़िक संचालित कर रहा है- जिसमें किसी का हस्त-क्षेप न चलता है अौर न चल सकता है; अगर हम अपने तौर-तरीके से इसे चलाना चाहते हैं, if we want to run the world the way we want- which never happens it results in an endless conflict of interests; तो फ़िर वही होता है संसार में, जो हम इस वक्त देख रहे हैं- ये सारे फ़साद, अातंकवाद, तानाशाही इत्यादि पनपते हैं- क्योंकि ये लोग अपने तरीके से संसार चलाना चाहते हैं;
    राधे राधे
  • Arun Kumar Singh सर नमस्ते ,
  • S.p. Singh नमस्कार।
  • Ajay Kumar Misra अति सुन्दर संदेश प्रस्तुत किया है, आपने इस रचना में।
    फिर भी हमारा मानना है कि ताली कभी एक हाथ से नहीँ बजती है। एक शराफत करे और दूसरा अन्याय करता रहे। आपस मेँ एक दूसरे का सम्मान तो होना चाहिये।
    ॥ हर हर महादेव ॥
    See Translation
  • आशीष कैलाश तिवारी बोलिये सच्चे वाले राजन बाबा के गीता की,,,,,,,,,, जय See Translation
  • S.p. Singh Actually आज दुनियां चौराहे पर आ खड़ी है जहाँ धार्मिक उन्माद चरम पर है। सांस्कृतिक धरोहर इस सोच की बलि चढ़ रहे हैं। आज एक वीडियो फिर प्रसारित किया गया है जिसकी इलैक्ट्ररोनिक मीडिया में बहुत चर्चा है अल जवाहिरी की तरफ से रिलीज किया गया है। आज 80% समाज को अगर कोई यह कह कर भडकाएगा तो खामियाजा कौन भुगतेगा। वो दिन लद गए कि आप बाहर से आए थे फूट डालो और बादशाह भन बैठे।
    आज जरूरत इस बात की है इस विषय पर चर्चा हो और सभी धर्मों के अनुयायी मिल कर इन चंद सिर फिरे लोगों को जबरदस्त तरीके से जबाब दें।
    कम से कम मुझे तो यही सही लगता है।
  • Ajay Kumar Misra बहुत सटीक कहा आपने। सर,
    आपको मेरा 
    'सादर नमन'
    See Translation
  • Yogendra Bhatnagar It's very true Kumud
  • Rajan Varma आशीष भाई ये नये राजन बाबा को कहाँ से खोज िनकाले हो?
  • आशीष कैलाश तिवारी Rajan Varma सर... बहुत पहुंचे हुये बाबा हैं,,,,,,गीता का ज्ञान एक बार में समझा देते हैं,,,,, लास्ट में पूछ भी लेते हैं? क्या?..... "कोई शक,,, बालक!"..... See Translation
  • Rajan Varma चलो फ़ुरसत मिले तो मिलवाना अपने इस नये खोजी बाबा से- हॉ हॉ हॉ
  • S.p. Singh धन्यवाद मित्रों ।

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