कलम से____
बगिया का माली आज यह कहने लगा
सुबह फूलों की खुशबू सूघंनी है अगर
तो कल जल्दी आइयेगा।
सुबह फूलों की खुशबू सूघंनी है अगर
तो कल जल्दी आइयेगा।
मैनें पूछा यह अचानक क्या हो गया
कहने लगा हसँ कर साहब त्योहार आ गया
कल से नव दुर्गा का आव्हान होगा
और बगिया में फूल एक न बचेगा
भक्त जन सब तोड़ ले जाएंगे
सब अपने अपने फूल कल भगवन शीष चढ़ाएंगे
पता नहीं वह कितना खुशी महसूस करेंगे
पर भक्त जन यह काम कर बड़ा प्रसन्न होगें
उनकी की खुशी में हम भी शरीक रहेगें
आखिर यह हमारी मेहनत है
फल उसका हमको ही मिलेगा
भगवान जानता है
भले ही उन्हें इस बात का पता भी न चलेगा
मन ही मन कितना खुश है बागवां
भगवान को सब पता है
जानकर कितना खुश हो रहा है।
कहने लगा हसँ कर साहब त्योहार आ गया
कल से नव दुर्गा का आव्हान होगा
और बगिया में फूल एक न बचेगा
भक्त जन सब तोड़ ले जाएंगे
सब अपने अपने फूल कल भगवन शीष चढ़ाएंगे
पता नहीं वह कितना खुशी महसूस करेंगे
पर भक्त जन यह काम कर बड़ा प्रसन्न होगें
उनकी की खुशी में हम भी शरीक रहेगें
आखिर यह हमारी मेहनत है
फल उसका हमको ही मिलेगा
भगवान जानता है
भले ही उन्हें इस बात का पता भी न चलेगा
मन ही मन कितना खुश है बागवां
भगवान को सब पता है
जानकर कितना खुश हो रहा है।
दूसरों की खुशी से अपना हिस्सा
चुराने का अहसास कितना सरल है।
चुराने का अहसास कितना सरल है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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