कलम से____
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ
करते थे बहुत प्यार यहाँ लाकर कैसे छोड़ गए
साथ आए थे दूर और करीब के कितने रिश्तेदार
साथ निभाया था बस यहाँ तक लाकर छोड गए
दफन कर फर्ज अपना निभाकर मुछे यहाँ छोड गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ।
हारसिगांर की सेज पर बैठ कर की थीं जो बातें
उन सबको तुम इतनी आसानी से भूल गए
रातरानी महक थी रात भर फिजाओं में
दिए से ही सही रौशन होती थी रातें
याद आती हैं वो मोहब्बत में डूबी बातें
कैसे वह हसीन लम्हात तुम भूल गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary and Subhash Sharma.
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ
करते थे बहुत प्यार यहाँ लाकर कैसे छोड़ गए
साथ आए थे दूर और करीब के कितने रिश्तेदार
साथ निभाया था बस यहाँ तक लाकर छोड गए
दफन कर फर्ज अपना निभाकर मुछे यहाँ छोड गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ।
हारसिगांर की सेज पर बैठ कर की थीं जो बातें
उन सबको तुम इतनी आसानी से भूल गए
रातरानी महक थी रात भर फिजाओं में
दिए से ही सही रौशन होती थी रातें
याद आती हैं वो मोहब्बत में डूबी बातें
कैसे वह हसीन लम्हात तुम भूल गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ मैं लौट लूँ।
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