कलम से____
एक बस स्टॉप
हर रोज़ यहाँ अनगिनत
लोग हैं आते और जाते
पर मुझे कोई अपना नहीं समझते
यहाँ वहाँ थूकते फिरते
पान खा पीक यहां करते
गंदगी का स्थान बनाया है
झाडू वाला भी आज नहीं आया है।
बारिशों के दिन
गिरते पड़ते आते हैं
भीग न जाएं कहीं
शरण यहीं पाते हैं।
एक लड़के को मैं
कई दिनों से देखा करता हूँ
एक लड़की भी
फिक्स टाइम पर आती है
उनकी भी कहानी
यहीं शुरू हो जाती है।
कुछ बेगाने
कुछ दीवाने
कुछ भिखारी
कुछ खिलाड़ी
सारी दुनियाँ आती है
बस सबको वहाँ
जाने की मिल जाती है
कुछ उतर सुस्ता
चल देते हैैं
राह पकड़ राही
अपनी धुन गाते फिरते हैं।
सब सोते होगें
मै नहीं सोता
जग के क्रिया कलाप
देखने को हूँ जगता रहता।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
एक बस स्टॉप
हर रोज़ यहाँ अनगिनत
लोग हैं आते और जाते
पर मुझे कोई अपना नहीं समझते
यहाँ वहाँ थूकते फिरते
पान खा पीक यहां करते
गंदगी का स्थान बनाया है
झाडू वाला भी आज नहीं आया है।
बारिशों के दिन
गिरते पड़ते आते हैं
भीग न जाएं कहीं
शरण यहीं पाते हैं।
एक लड़के को मैं
कई दिनों से देखा करता हूँ
एक लड़की भी
फिक्स टाइम पर आती है
उनकी भी कहानी
यहीं शुरू हो जाती है।
कुछ बेगाने
कुछ दीवाने
कुछ भिखारी
कुछ खिलाड़ी
सारी दुनियाँ आती है
बस सबको वहाँ
जाने की मिल जाती है
कुछ उतर सुस्ता
चल देते हैैं
राह पकड़ राही
अपनी धुन गाते फिरते हैं।
सब सोते होगें
मै नहीं सोता
जग के क्रिया कलाप
देखने को हूँ जगता रहता।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
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