कलम से____
पुरबइया बयार बहै धीरे धीरे
बदरी का टुकड़ीं
संग चलें धीरे धीरे
कुछ काली कुछ सुफैद
मिल कै बरसेंगी अनेक
सावन-भादों फिर आएगें
बुंदियन की झड़ी लगाएगें
अबके गए फिर साल पीछें लौटेगें
यादन वे हमेशा रहैगें
जाओ जाओ चाहे जहाँ बरसौ तुम
हमारे अगंना आज बरसौ तुम
इतनो ख्याल हमारौ धरो तुम ....
चल हम आय रहे हैं
बरसेंगें तेरे अगंना
खेलत हैं जिसमें
मेरे ललना
ऐसो है तेरो अगंना
शान तेरे अगंने की बनी रहेगी
बगिया तेरी महकेगी
फूलन सें लदी रहेगी
प्यार की बारिश होती रहेगी
चल हम आय रहे हैं
बरसेगें तेरे अगंना ......
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with BN Pandey and Puneet Chowdhary.
पुरबइया बयार बहै धीरे धीरे
बदरी का टुकड़ीं
संग चलें धीरे धीरे
कुछ काली कुछ सुफैद
मिल कै बरसेंगी अनेक
सावन-भादों फिर आएगें
बुंदियन की झड़ी लगाएगें
अबके गए फिर साल पीछें लौटेगें
यादन वे हमेशा रहैगें
जाओ जाओ चाहे जहाँ बरसौ तुम
हमारे अगंना आज बरसौ तुम
इतनो ख्याल हमारौ धरो तुम ....
चल हम आय रहे हैं
बरसेंगें तेरे अगंना
खेलत हैं जिसमें
मेरे ललना
ऐसो है तेरो अगंना
शान तेरे अगंने की बनी रहेगी
बगिया तेरी महकेगी
फूलन सें लदी रहेगी
प्यार की बारिश होती रहेगी
चल हम आय रहे हैं
बरसेगें तेरे अगंना ......
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