सुप्रभात मित्रों।
कल ही मैंने दोस्तों यह कविता अपने जन्म दिन के रोज़ आप सभी की सेवा में प्रस्तुति की थी और शाम होते होते प्रेम रुहानी जी ने इसे मुझसे चुरा अपना बना फेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया। ओशो इन्सटीट्यूट शायद ऐसी शिक्षा अपने शिष्यों को देता है।
माना कि प्रेम रुहानी जी उच्च आदर्शों के व्यक्तित्व के धनी होंगी पर मुझे उनका यह कृत्य समझ नहीं आया। भगवन उन्हें सद बुध्दि दें मेरी यही प्रार्थना है। अगर वो कहतीं हम स्वतः ही यह कविता लिख उनको प्रेषित कर देते।
//सुरेन्द्रपालसिंह//
कल ही मैंने दोस्तों यह कविता अपने जन्म दिन के रोज़ आप सभी की सेवा में प्रस्तुति की थी और शाम होते होते प्रेम रुहानी जी ने इसे मुझसे चुरा अपना बना फेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया। ओशो इन्सटीट्यूट शायद ऐसी शिक्षा अपने शिष्यों को देता है।
माना कि प्रेम रुहानी जी उच्च आदर्शों के व्यक्तित्व के धनी होंगी पर मुझे उनका यह कृत्य समझ नहीं आया। भगवन उन्हें सद बुध्दि दें मेरी यही प्रार्थना है। अगर वो कहतीं हम स्वतः ही यह कविता लिख उनको प्रेषित कर देते।
//सुरेन्द्रपालसिंह//
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