कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Tuesday, September 9, 2014
लहरें आती हैं किनारे तक और पलट जाती हैं
लहरें आती हैं किनारे तक और पलट जाती हैं
यादें आती हैं दिल में और सिमट जाती हैं
फर्क दोनों में इतना है
लहरें बेवक्त आती हैं और यादें हर वक्त.....
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Rajan Varma
,
BN Pandey
,
Harihar Singh
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Anil K Garg
True Ma'am.. & you can't control either of them.
September 8 at 9:26pm
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Harihar Singh
बहतरीन
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September 8 at 9:44pm
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Rajan Varma
लहरों पर मुझे एक अौर बात याद आती है जो संतो के सत्संगों में अक्सर सुनने को मिल जाती हैः जैसे एक लहर आती है अौर बह रही सब लकड़ियों को इकट्ठा कर देती है अौर दूसरी लहर आती है उन सब लकड़ियों को बिखेर देती है ठीक उसी प्रकार एक लहर उठी अौर हम सब रिश्तेदार, माँ-बाप, भाई-बहन इत्यादि बन गये; दूसरी लहर उठी तो हम मिन्टों-सैकेन्डों में एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं; ये दुनिया का क्षणिक सच है; शुभ रात्रि
September 8 at 9:59pm
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Ramaa Singh
शुभ रात्रि भाईसाहब
September 8 at 10:00pm
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Harihar Singh
बहतरीन
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September 8 at 10:29pm
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BN Pandey
TUMHAARI YAAD ME AANSHOO BAHAA NAHI SAKATE.....LABO PE MUHAR HAI HUM MUSKURAA NAHI SAKTE
Yesterday at 10:40am
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S.p. Singh
बहुत सुंदर पाडेंजी ।
Yesterday at 10:43am
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BN Pandey
SUKRIYAA SIR
Yesterday at 10:44am
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Ram Saran Singh
ये रही रचना महोदया । आप कम पर सारगर्भित लिखती हैं । लहरों से किसी का क्या नाता लेकिन यादों से नाता होता है । लहरें तो कराल और काल होती हैं परंतु यादों का मासूम और निर्मल संसार होता है । यादों के सहारे जीवन कट जाता है लेकिन लहरों से रिश्ता क्षणभंगुर होता हैै ।
Yesterday at 10:51am
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Puneet Chowdhary
Wonderful synergy respected mam.Terse but very effective.
Yesterday at 12:00pm
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Shlesh Rathore Ulfat
सुंदर
22 hours ago
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