Tuesday, September 9, 2014

ऐ चाँद तुमको देखते हैं हम जाग कर रात-रात,

ऐ चाँद तुमको देखते हैं हम जाग कर रात-रात,
काश तुम मेरे साथ गुजारो थोड़ी सी रात,
चाँदनी में सराबोर खूबसूरत चाँद और
तुम्हारे साथ आसमां में तारों की अदभुत बारात,
तुम्हारी चाँदनी फैल बसुधा परअरमानों में घुली जाती है ,
चाँदनी की फैली हुई चादरें काले अम्बर पर धीरे-धीरे तैरती
पल्लू सी उड़ती छतों, मुंडेरों और मीनारों पर बिखर जाती है ,
तुमसे रंग है ,तुमसे ख्वाब हैं ,तुमसे अफसाने भी हैं ,
तुमने बनायें हैं कई दीवाने भी ,
तुमको देखे चकोर बस उड़ थाम लेने को बेकरार, तेरी चाँदनी से छाई है मस्ती
बंजारों की बस्ती में ,
ऐ चाँद तू और तेरी चाँदनी कब तक निभाओगे मेरा साथ,
बस छोड़ दोगे चम्पई सुबह के साथ.......

http://rammasingh.blogspot.in/
 — with S.p. Singh.
Photo: ऐ चाँद तुमको देखते हैं हम जाग कर रात-रात, 
काश तुम मेरे साथ गुजारो थोड़ी सी रात, 
चाँदनी में सराबोर खूबसूरत चाँद और
तुम्हारे साथ आसमां में तारों की अदभुत बारात, 
तुम्हारी चाँदनी फैल बसुधा परअरमानों में घुली जाती है ,
चाँदनी की फैली हुई चादरें काले अम्बर पर धीरे-धीरे तैरती
पल्लू सी उड़ती छतों, मुंडेरों और मीनारों पर बिखर जाती है ,
तुमसे रंग है ,तुमसे ख्वाब हैं ,तुमसे अफसाने भी हैं ,
तुमने बनायें हैं कई दीवाने भी ,
तुमको देखे चकोर बस उड़ थाम लेने को बेकरार, तेरी चाँदनी से छाई है मस्ती
 बंजारों की बस्ती में ,
ऐ चाँद तू और तेरी चाँदनी कब तक निभाओगे मेरा साथ, 
 बस छोड़ दोगे चम्पई सुबह के साथ.......
                                  
   http://rammasingh.blogspot.in/
  • Rajan Varma चाँद की चाँदनी में सराबोर तारों की छाँव में सोने के दिन लद गये- बचपन के साथ! तब न AC हुआ करते थे न desert coolers- बस एकमात्र विकल्प था खाट-बिस्तर छत पर डाल कर चादर अोढ़ कर- कानों से ट्रांज़िस्टर पर हवा-महल, भूले-बिसरे गीत लगा कर चाँद को निहारते-हुये सो जाना! ट्रंाज़िस्टर कभी-कभी तो सुबह माता-श्री बंद किया करती थीं- वो रईसी आजकल afford करना मुमकिन नहीं; बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है भाभी जी
  • S.p. Singh राजन यह कविता जितनी ओरिजिनल है उतनी इनकी यह फोटो भी इन्हीं के कैमरे से खिचीं हुई ओरिजनल है।
  • Rajan Varma सर ये सच है कि जो ठँडक पूर्णमाशी की रात को होती है वैसी ठँडक AC में नहीं मिल सकती- ऐसे ही नहीं कवियों ने चाँद अौर चाँदनी पर ग्रन्थों का अम्बार लगा दिया
  • Ram Saran Singh महोदया, चाँद, तारे, चाँदनी ये मानव के लिए अनमोल उपहार हैं । ये आह्लादक है । मन में उठने वाले भावों को प्रस्तुत करने का बड़ा ही श्लाघनीय प्रयास है । धन्यवाद ।
  • Madhvi Srivastava oye hoye sooooo beautiful
  • Kanahiya Lal Mishra Ati sunder rachna k lay sadhuwad radhe rad he.
  • Ramaa Singh जी राजन भाई साहब आप बिल्कुल ठीक फरमा रहे हैं, आपका बहुत धन्यवाद
  • Ramaa Singh जी राम शरन भाई साहब आपका कहना बिल्कुल उचित है पर ना जाने क्यों हमें चाँद तारे, समुद्र पहाड़ प्राकृतिक दृश्य अपनी ओर आकॆषित करते हैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
  • Ramaa Singh माधवी तुम्हारा ओय होय बहुत अच्छा लगा Thanks
  • Gyanendra Singh Rathore क्या बात है ..(माँ)..आपकी रचनओं का संग्रह बना रहा हूँ ....See Translation
  • Puneet Chowdhary Once again a GEM of poem from respected mam
  • Arun Kumar Singh वेहद सुंदर मैडम जी
  • JV Singh Chandini ratei chamakate sitare ye sab prakriti ka adhubut varnan hei. How best you have described , I have no words to appreaciate. Madam aapki kavitaei ati sunder hei. This shows your poetric heart.
  • Shlesh Rathore Ulfat सुंदर
  • Ramaa Singh आप सभी मित्रों का अंतर्मन से हार्दिक धन्यवाद

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