Tuesday, September 9, 2014

आओ मिल कर एक ख्वाब सजायें, रेत का एक महल बनायें

आओ मिल कर एक
ख्वाब सजायें,
रेत का एक महल बनायें
हरे भरे हों दरख्त सामने
नील गगन की छाँव हो
छनती हुई धूप की किरनें हों
रिश्तों में कोई गिरह न हो ,

चट्टान थी जो कभी अडिग
लहरों और वक्त की मार खाकर
बिखर कर बन गई वो रेत,

रेत समेटा और एक महल बनाया
बनता रहा ,बिगड़ता रहा
कन्दो ,कँगूरों और झरोंखों
से सजाया
बिछा हो एक गलीचा
गुलमोहर के फूलों का
सात सुरों की स्वर लहरी
के गूंजे संगीत
थोड़ी सी चाँदनी चुरा लाई
और
रौशन किया महल को
बुरी नजर से इसको बचायें
एक ढिठौना लगायें ,
चलो महल का लुत्फ उठायें
झीने परदों से झाँका तो
देखा
शाम की ढ़लान पर
एक लहर आई
और बहा ले गई
हमारा प्यारा रेत का महल
ख्वाब हमारे बह चले
और
हम देखते रहे
सुनहरे ख्वाबों की
छोटी सी जिन्दगी....

(ढिठौना.....नजरबट्रटू कन्दा.....नक्काशी दार
गिरह......मनमुटाव )
http://rammasingh.blogspot.in/
 — with S.p. Singh.
Photo: आओ मिल कर एक
      ख्वाब सजायें,  
   रेत का एक महल बनायें
हरे भरे हों दरख्त सामने
नील गगन की छाँव हो
छनती हुई धूप की किरनें हों
रिश्तों में कोई गिरह न हो ,

 चट्टान थी जो कभी अडिग
  लहरों और वक्त की मार खाकर
  बिखर कर बन गई वो रेत, 

 रेत समेटा और एक महल बनाया
बनता रहा ,बिगड़ता रहा
 कन्दो ,कँगूरों और झरोंखों
        से सजाया
बिछा हो एक गलीचा
गुलमोहर के फूलों का
सात सुरों की स्वर लहरी
के गूंजे संगीत
थोड़ी सी चाँदनी चुरा लाई
          और
रौशन किया महल को
 बुरी नजर से इसको बचायें
 एक ढिठौना लगायें ,
  चलो महल का लुत्फ उठायें
 झीने परदों से झाँका तो 
         देखा
शाम की ढ़लान पर
      एक लहर आई 
      और बहा ले गई
  हमारा प्यारा रेत का महल
  ख्वाब हमारे बह चले
            और
  हम देखते रहे
                सुनहरे ख्वाबों की 
     छोटी सी जिन्दगी....

(ढिठौना.....नजरबट्रटू     कन्दा.....नक्काशी दार
गिरह......मनमुटाव )
http://rammasingh.blogspot.in/

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