कलम से____
"लव जेहाद"
क्या सुदंर नाम दिया
एक नई सोच को जन्म दिया
लोगों को बहकाने का काम किया।
मीडिया इन्गेजमेन्ट
का काम सारा है
उन्होंने ने पाक इश्क को भी बदनाम किया।
नीच और कौन होगा इनसे
जिसने भगवान और अल्लाह को
मिल एक साथ गुमराह किया।
माना औरंगज़ेब ने
काम कुछ गलत किया
कृष्ण दरबार में हाज़िरी लगा
गोकुल में राधा मन्दिर नाम किया
क्या उसने यह ठीक नहीं किया।
कुछ और भी गलत किया होगा
इतिहास को भला कौन बदलेगा
हालात वैसे थे तब
जो किया शायद ठीक किया।
कई खानज़ादे ऐसे हैं
जो आज भी रोते हैं
अपनों से अलग क्या हुए
परेशान अभी भी रहते हैं
दिल तड़पता है उनका
वो कौन है जो आज भी
अपनों को अपनों से
मिलने नहीं देता
धर्म ही तो है
जो बदल गया
किसने चाहा था
पर उसको वह मिल गया
जीवन रक्षा में कुछ बिक गया
सो बिक गया।
आज भी खाई गहरी है
दो भाइयों को अलग अलग जो करती है
मिलने को थे तैयार
पर फिर उठे प्रश्न हजार
ले लेगें पर देगें नहीं
अपने घर की बिटिया
शादी ब्याह इकतरफा होगें
नहीं हुआ इस पर कोई करार
बढ़ और गई दोनों के बीच तकरार
आमने सामने रहते हैं
दिल दोनों के ही रोते रहते हैं
पर अलग हुए सदा को ऐसे
न मिल सकेंगे कभी जैसे।
खत्म हो मनमुटाव
है कोई सुझाव
दो दिलों का अलगाव
मिल बैठें होने लगें
बातें दो एक चार
मतभेद खत्म हो
बात हम कल की करें
मिलजुल कुछ ऐसा करें
दोनों है भाई
भाई बन फिर रह सकें।
(हिन्दू-मुस्लिम एकता को समर्पित)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary and Anand H. Singh.
"लव जेहाद"
क्या सुदंर नाम दिया
एक नई सोच को जन्म दिया
लोगों को बहकाने का काम किया।
मीडिया इन्गेजमेन्ट
का काम सारा है
उन्होंने ने पाक इश्क को भी बदनाम किया।
नीच और कौन होगा इनसे
जिसने भगवान और अल्लाह को
मिल एक साथ गुमराह किया।
माना औरंगज़ेब ने
काम कुछ गलत किया
कृष्ण दरबार में हाज़िरी लगा
गोकुल में राधा मन्दिर नाम किया
क्या उसने यह ठीक नहीं किया।
कुछ और भी गलत किया होगा
इतिहास को भला कौन बदलेगा
हालात वैसे थे तब
जो किया शायद ठीक किया।
कई खानज़ादे ऐसे हैं
जो आज भी रोते हैं
अपनों से अलग क्या हुए
परेशान अभी भी रहते हैं
दिल तड़पता है उनका
वो कौन है जो आज भी
अपनों को अपनों से
मिलने नहीं देता
धर्म ही तो है
जो बदल गया
किसने चाहा था
पर उसको वह मिल गया
जीवन रक्षा में कुछ बिक गया
सो बिक गया।
आज भी खाई गहरी है
दो भाइयों को अलग अलग जो करती है
मिलने को थे तैयार
पर फिर उठे प्रश्न हजार
ले लेगें पर देगें नहीं
अपने घर की बिटिया
शादी ब्याह इकतरफा होगें
नहीं हुआ इस पर कोई करार
बढ़ और गई दोनों के बीच तकरार
आमने सामने रहते हैं
दिल दोनों के ही रोते रहते हैं
पर अलग हुए सदा को ऐसे
न मिल सकेंगे कभी जैसे।
खत्म हो मनमुटाव
है कोई सुझाव
दो दिलों का अलगाव
मिल बैठें होने लगें
बातें दो एक चार
मतभेद खत्म हो
बात हम कल की करें
मिलजुल कुछ ऐसा करें
दोनों है भाई
भाई बन फिर रह सकें।
(हिन्दू-मुस्लिम एकता को समर्पित)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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