कलम से____
घना जंगल
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
ऊँचे दरख्तों से छन छन कर आती
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
ऊँचे दरख्तों से छन छन कर आती
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।
प्रकृति के यह नज़ारे
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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