कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, September 14, 2014
सैलाब अब के कुछ ऐसा आया
कलम से____
सैलाब अब के कुछ ऐसा आया
जो भी था, सब साथ अपने बहा ले गया......
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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Sp Dwivedi
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Brahmdeo Prasad Gupta
nature is great it does not differentiate.
September 11 at 5:14am
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Javed Usmani
दुखद
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September 11 at 6:57am
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Sp Tripathi
ऋतु परिवर्तन की बात फिर शुरू हो गई है अख़बारों मे । यह सब हादसों के बाद ही क्यों होता है । बात और काम दोनों यदि पहले होते तो यह हादसा ही नहीं होता ।
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September 11 at 1:23pm
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