Tuesday, September 9, 2014

लगाया पेड कदम्ब का

कलम से____

मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बड़ा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में
झूलने
मेरे मेहमान आएगें।

सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत
राग रागिनी गाएंगी।

राधे भी होगी
होगा मेरा कन्हाई भी !!

(भगवान को आप किसी भी रूप में स्मरण करें। सभी रूप उसके मनमोहक हैं।)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बड़ा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में 
झूलने
मेरे मेहमान आएगें।

सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत 
राग रागिनी गाएंगी।

राधे भी होगी
होगा मेरा कन्हाई भी !!

(भगवान को आप किसी भी रूप में स्मरण करें। सभी रूप उसके मनमोहक हैं।)

//surendrapalsingh//

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