कलम से____
सुफैद बर्फ के जंगल में
आशियाना बनाने की चाहत में
न जाने कहाँ कहाँ न हम घूमे
कितने आकाश नापे
नीचे उतरना था
ज़ालिमों ने उतरने भी नहीं दिया !!!
आशियाना बनाने की चाहत में
न जाने कहाँ कहाँ न हम घूमे
कितने आकाश नापे
नीचे उतरना था
ज़ालिमों ने उतरने भी नहीं दिया !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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