कलम से_____
चल चलते हैं
नभ के तारे दिन में गिनते हैं
सुफेद कहीं काले बदरा दिखते हैं
सपनों की चादर पर उतराते लगते हैं।
दूर कहीं दिखता है
एक मंगलयान उडता जाता
दूर दृष्टि ओझल हो जाता
छाप तिरंगे की नभ में बिखराता
आगे आगे ही है बढ़ता जाता
तारों के घर वो जाता
हाल पूछ आगे बढ़ जाता
है करीब लक्ष्य के हौसले से भरपूर
सारे जहां का बन जो रहा है नूर।
आइए हम सभी मिल मंगलयान मिशन की सफलता के लिए प्रभु से निवेदन करें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary and Subhash Sharma.
चल चलते हैं
नभ के तारे दिन में गिनते हैं
सुफेद कहीं काले बदरा दिखते हैं
सपनों की चादर पर उतराते लगते हैं।
दूर कहीं दिखता है
एक मंगलयान उडता जाता
दूर दृष्टि ओझल हो जाता
छाप तिरंगे की नभ में बिखराता
आगे आगे ही है बढ़ता जाता
तारों के घर वो जाता
हाल पूछ आगे बढ़ जाता
है करीब लक्ष्य के हौसले से भरपूर
सारे जहां का बन जो रहा है नूर।
आइए हम सभी मिल मंगलयान मिशन की सफलता के लिए प्रभु से निवेदन करें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary and Subhash Sharma.
No comments:
Post a Comment