कलम से____
6.15 AM Kaushambi Central Park.
बूढ़ी अम्मा और बाबा
पार्क में
बैंच पर थे बैठे
लगे बैचेन से
बार बार कुर्ते की बाहँ
ऊपर चढ़ा घड़ी
देख परेशान हो जाते
पास रखी बोरी
सामान से भरी
देखते फिर घड़ी
निगाह कभी इधर
कभी उधर जाती
खड़े हो इधर उधर टहलते
बैंच पर हताश हो फिर बैठ जाते।
पार्क में
बैंच पर थे बैठे
लगे बैचेन से
बार बार कुर्ते की बाहँ
ऊपर चढ़ा घड़ी
देख परेशान हो जाते
पास रखी बोरी
सामान से भरी
देखते फिर घड़ी
निगाह कभी इधर
कभी उधर जाती
खड़े हो इधर उधर टहलते
बैंच पर हताश हो फिर बैठ जाते।
रहा मुझसे नहीं गया
पास मैं उनके गया
परेशान लग रहे हो आप
मैं कुछ कर सकता हूँ
नहीं नहीं कुछ नहीं
नहीं कहना चाहते थे
मैं कहाँ आसानी से देता छोड़
पड़ गया पीछे
बोल पड़े, बेटा रहता है यहाँ
कौशांबी में, उस सामने
वाली बिल्डिंग में
जाना है उसके पास,
अभी अभी पहुंचे हैं
वक्त कुछ और गुज़र जाए,
जाएगें तब उससे मिलने।
पास मैं उनके गया
परेशान लग रहे हो आप
मैं कुछ कर सकता हूँ
नहीं नहीं कुछ नहीं
नहीं कहना चाहते थे
मैं कहाँ आसानी से देता छोड़
पड़ गया पीछे
बोल पड़े, बेटा रहता है यहाँ
कौशांबी में, उस सामने
वाली बिल्डिंग में
जाना है उसके पास,
अभी अभी पहुंचे हैं
वक्त कुछ और गुज़र जाए,
जाएगें तब उससे मिलने।
रहा मुझसे नहीं गया
उन दोनों से यह कहा चलिए
मैं छोड़ देता हूँ
कहने लगे नहीं अभी नहीं
मैंने फिर जोर देकर कहा
चलिए संकोच न करिए
आप मेरे पिता तुल्य हैं
आँखों का बांध टूट गया
लाख रोकना चाहा
जो न रुका
कहने लगे बात असल में यह है
वक्त बच्चों का
उठने का हुआ नहीं है
देर से सोते है
देर से उठते है
इसलिए हम आठ बजे का
इतंजार कर रहे हैं
फिर जाएगें
तब बेटे बहू
पोते पोती से मिलेंगे,
आज शाम ही
वापस गांव चले जाएगें।
उन दोनों से यह कहा चलिए
मैं छोड़ देता हूँ
कहने लगे नहीं अभी नहीं
मैंने फिर जोर देकर कहा
चलिए संकोच न करिए
आप मेरे पिता तुल्य हैं
आँखों का बांध टूट गया
लाख रोकना चाहा
जो न रुका
कहने लगे बात असल में यह है
वक्त बच्चों का
उठने का हुआ नहीं है
देर से सोते है
देर से उठते है
इसलिए हम आठ बजे का
इतंजार कर रहे हैं
फिर जाएगें
तब बेटे बहू
पोते पोती से मिलेंगे,
आज शाम ही
वापस गांव चले जाएगें।
बोरी सामान की उठा
मैं चला, उनसे कहा
चलिए आप मेरे साथ चलिए
नहा धो लीजिए
कुछ खी पी लीजिए
फिर मैं ले चलूँगा
आपके बेटे के घर छोड़ दूगाँ।
मैं चला, उनसे कहा
चलिए आप मेरे साथ चलिए
नहा धो लीजिए
कुछ खी पी लीजिए
फिर मैं ले चलूँगा
आपके बेटे के घर छोड़ दूगाँ।
जिद्धोजहद के बाद राज़ी हुए
मेरे घर वो दोनों चले।
मेरे घर वो दोनों चले।
नौ बजा तब मैंने कहा
चलें चलते हैं
कहने लगे कहाँ
मैंने कहा, आपके बेटे के यहाँ
कहने लगे, अब न जाएगें
मिल लिए जिनसे मिलना था
जिस घर आदर सत्कार न हो
वहाँ न अब जाएगें।
चलें चलते हैं
कहने लगे कहाँ
मैंने कहा, आपके बेटे के यहाँ
कहने लगे, अब न जाएगें
मिल लिए जिनसे मिलना था
जिस घर आदर सत्कार न हो
वहाँ न अब जाएगें।
उठ खड़े हुए चलने के लिए
छोड़ देना हमको बस अड्डे
वहीं से वापस हम अपने गांव चले जाएगें
अबके गए फिर कभी नहीं आएगें
अबके गए फिर............
छोड़ देना हमको बस अड्डे
वहीं से वापस हम अपने गांव चले जाएगें
अबके गए फिर कभी नहीं आएगें
अबके गए फिर............
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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