कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Monday, September 29, 2014
स्वर्णिम प्रकाश में हो पुलकित
कलम से____
स्वर्णिम प्रकाश में हो पुलकित
स्वर्गिक प्रीत का बन द्योतक
तुम आती हो,
जीवन-पथ पर
सौंदर्य-रहस बरसाती हो।
//surendrapalsingh © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with
Subhash Sharma
and
Puneet Chowdhary
.
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Sp Dwivedi
,
Rema Nair
,
Nagendra Singh Nagendra
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SN Gupta
KYa baat Kya baat
September 26 at 9:38pm
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Bhawesh Asthana
यह इश्क नही आसां , इतना ही समझ लिजिए
इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है ॥
September 26 at 10:31pm
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Anjani Srivastava
नजर भर कर जिसे तुम देख लेते हो,
वो बुत बन कर रह जाता है...........
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September 27 at 12:36am
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Brahmdeo Prasad Gupta
nice.
September 27 at 4:49am
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Ram Saran Singh
"स्वर्गिक प्रीत का बन द्योतक" काव्यमय पंक्ति । रचना छोटी तो है पर हर एक शब्द सारगर्भित । महोदय धन्यवाद ।
September 27 at 7:51am
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