कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Thursday, December 4, 2014
भला अपनों से भी कोई रूठा करता है।
कलम से____
अपने दिल को समझाओ यारा,
भला अपनों से भी कोई रूठा करता है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
.
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Ajai Kumar Khare
,
SN Gupta
,
Hari Shankar Pandey
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BN Pandey
AA LAUT KE AAJAA MERE MEET...
Yesterday at 4:57pm
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Rajan Varma
एक-दूसरे की कमियां जानने-समझने-अपनाने के बाद, बने थे हम यार,
फ़िर ऐसी क्या नई बात हो गई, जो तुम रूठ गये मेरे यार???
कह दो ये दिल्लगी थी- रूठने का तो हक ही नहीं है शायद!!!
Yesterday at 5:30pm
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Harihar Singh
सच कहा
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Yesterday at 5:54pm
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Anand H. Singh
Sir yeh lines kis se kahi,yeh toh bataiye?
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Yesterday at 7:20pm
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S.p. Singh
मौके की नजाकत पर है यह सब। सभी को कभी न कभी अहसास होता है। हमने तो आपकी बात को शब्द भर दिये हैं, आनंद जी।
Yesterday at 7:27pm
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Deobansh Dubey
बहुत सुंदर!
23 hrs
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Ajay Kr Misra
भगवान करे कि शीघ्र ही आपसी नाराजगी दूर हो जाये।
सुन्दर प्रस्तुति।
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23 hrs
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Dinesh Singh
बहुत ही सुंदर
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S.p. Singh
अजय सब ठीक ठाक है। कविता के भाव कविता में ही सुहाते हैं।
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SN Gupta
वाह वाह
6 hrs
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