कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Saturday, December 6, 2014
काटों से भरा यह रास्ता जानेमन तुम्हारे ही घर का है !!!
कलम से____
हमारे पाँव के छालों से ही हुआ है लहूलुहान,
काटों से भरा यह रास्ता जानेमन तुम्हारे ही घर का है !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
and
आशीष कैलाश तिवारी
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Anil Kumar Madan
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BN Pandey
,
Arun Kumar Singh
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Jitendra Kakkar
तेरी राहों में चले दिल थाम के हाय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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December 5 at 2:58pm
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Ram Saran Singh
ओह । आदरणीय आपने मुहब्बत को परवान चढ़ा दिया । इजाज़त से कहना चाहूँगा, " मेरे पैरों के निशान अब भी है परेशान, ख़ाक छानी है इन्हीं राहों की ताउम्र मैंने । " बहुत सुंदर लिखा आपने धन्यवाद ।
December 5 at 3:01pm
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Dinesh Singh
बहुत ही सुन्दर.. वाह्ह
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December 5 at 3:06pm
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Rp Singh
wah........
December 5 at 3:07pm
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Rajan Varma
लोग पूछते हैं सबब लाल होने का, राहगुज़र जो जाती है तेरे घर को,
अब कैसे बतायें कि रोक नहीं पाये पावों को, काँटों पर चलने के लिये!!
पाँव क्या ख़ाक समझेंगे, जब दिल ही नहीं मानता,
उम्र हो गई समझाते-समझाते-
बहुत बढ़िया तीर मारा है सर- मज़ा आ गया;
December 5 at 3:09pm
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Harihar Singh
बहुत खूब
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December 5 at 3:32pm
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Deobansh Dubey
Aaha! Kya khub kaha!
December 5 at 3:43pm
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Anand H. Singh
Huzur kis ke ghar ka?
December 5 at 4:21pm
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Ajay Kr Misra
खूबसूरत प्रस्तुति।
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December 5 at 9:50pm
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Puneet Chowdhary
Umda kavi raaj
Yesterday at 7:06am
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BN Pandey
DIL HAI KI MAANATAA NAHI
22 hrs
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