कलम से____
बच्चों का बचपन
अब कहाँ
रह पाता है
जब पाठ उन्हें
पहले दिन से ही
रिसपान्सबिल होने का
पढ़ाया जाता है।
अब कहाँ
रह पाता है
जब पाठ उन्हें
पहले दिन से ही
रिसपान्सबिल होने का
पढ़ाया जाता है।
बेटे दुलारे होते हैं
सबके घर में
वो तो कुछ करते हैं
शैतानियां
बेटियां
नहीं करतीं हैं
नादानियां।
सबके घर में
वो तो कुछ करते हैं
शैतानियां
बेटियां
नहीं करतीं हैं
नादानियां।
बेटों से
अच्छी होतीं हैं
बेटियाँ
पराई होकर भी जो रहतीं हैं
अपनी बेटियां।
अच्छी होतीं हैं
बेटियाँ
पराई होकर भी जो रहतीं हैं
अपनी बेटियां।
//surendrapalsingh © 2014//
No comments:
Post a Comment