कलम से____
तुम चादँ और तारों की बातें करते रहे !
मैंने सफर तय कर भी लिया.....
मैंने सफर तय कर भी लिया.....
फूल जो दिया था तुमने
...............आज भी निगाह में बसता है, मेरे !!!
...............आज भी निगाह में बसता है, मेरे !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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