कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Friday, October 31, 2014
एक नजारा अजीबोगरीब देखा
रात भर दिल्ली में खाली बसों को भागते देखा
दिन में ठसाठस भरी देखा
दिल्ली के लोग भी .......
— with
Puneet Chowdhary
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Brahmdeo Prasad Gupta
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Sp Tripathi
,
Ramesh Chandra
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आशीष कैलाश तिवारी
लेकिन ये लोग जाते कहां हैं??
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S.p. Singh
पता नहीं बेमतलब की भागदौड में लगे हैं लागत है।
4 hrs
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Neelesh B Sokey
लागत है कि दिल्ली से बाहरे चले जायेंगे।
2 hrs
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Puneet Chowdhary
Sir now we need metro on more routes even in bylanes.u hv raised a relevant issue.it means lot many flyovers and metro is not helping the cause.we either need to stop growing like cock roaches or shud hv more even development and urbanisation
2 hrs
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S.p. Singh
Whatever we plan today will come in use after 5 years. Planning should take care of next 100 years sure if not of 1000 years. Europe is a show piece becoz of it's planning. Whatever little we see in Delhi again it was built by Europeans only.
1 hr
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बाज़ार का दस्तूर ही है, कुछ ऐसा
कलम से_____
बाज़ार का दस्तूर ही है, कुछ ऐसा
सस्ता सामान आसानी से है बिक जाता,
महगें का खरीद दार नहीं मिलता !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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Hari Hridaya
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Surinder Gera
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Hari Shankar Pandey
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Shravan Kumar Sachan
Neelam heerey ke sath
19 hrs
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Kalpana Chaturvedi
परंतु यह सदा नहीं यदा कदा होता है।
पहचानने पर सत्य की प्राप्ति होती है।
18 hrs
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Umesh Sharma
हीरे को जो पहचान लें, वो नज़रें बड़ी मुश्किल से मिलती हैं
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Harihar Singh
रहरहसयवाद से भरे विचार ।बहुत सुन्दर
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Ajay Kumar Misra
गम्भीर भावपूर्ण रचना,
दुनियाँ में ईमानदार बड़े
मुश्किल से मिलता है।
"जय श्री राधे राधे"
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17 hrs
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Deepika Namdev
बढिया,,,
दूसरा पहलू कुछ यॅू भी है कि,,,
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते है दाम अक्सर।
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16 hrs
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S.p. Singh
बहुत खूब।
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Ram Saran Singh
आदरणीय । बाज़ार के दस्तूर में दम है । सस्ता माल जल्दी बिक जाता है । अब मैं इस आधार वाक्य को थोड़ा Twist करना चाहूँगा । चुनाव में गुंडे, लफ़ंगे, बेईमान और घटिया क़िस्म के लोग जीत जाते हैं जबकि कर्मठ, ईमानदार, भले आदमी की ज़मानत ज़ब्त हो जाती है । ब्रिटेन की महारानी ने जब सोने के सिक्के चलवाए तो देखते देखते वे सब बाज़ार से ग़ायब हो गए और घटिया सिक्के चल पड़े । महोदय आपने क़तई सही कहा है । धन्यवाद ।
15 hrs
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S.p. Singh
सिंह साहब आपने सही फरमाया है।
7 hrs
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