Sunday, December 14, 2014

सुबह सुबह के यह पल सबको नसीब नहीं होते

कलम से____
सुबह सुबह
के यह पल
सबको नसीब 
नहीं होते
जिसको होते हैं
बस यह उसके होते हैं
बाकी तो दुनियां
जहान सोते रहते हैं
खुदा की नेमत से
मरहूम रहते हैं
चिड़ियों का चहचहाना
उनका खिलखिला के हँस पड़ना
फूलों का मुस्कुराना
फिज़ाओं में रंग भर देना
बस उसको आता है
या फिर
मेरे मन को भाता है
तू नहीं है उठता
जीवन में बहुत कुछ
है तेरा जो
लुटता रहता है ।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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