Sunday, December 14, 2014

मंदिर में फूल चढ़ाने के नाम पर


मंदिर में फूल चढ़ाने के नाम पर
न जाने कितने गुलशन बरबाद किए हैं
तब जाकर कहीं इतने फूल इकट्ठे हुए हैं !!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Rajan Varma ग़र फ़ूलों से खुश हुये होते भगवान, तो अब तक हो जाने चाहियें थे,
    न जाने कितनी सदियों से फूलों की चादर अोढ़ाते रहे हैं हम लोग;
    पर शायद हमें सस्ते उपाये चाहिये, रूठे रॅब को मनाने के,
    तो क्या ग़लत करते हैं पंडे, हमें ये रास्ता दिखा कर- जो कहीं जाता ही नहीं!!!
  • Anand H. Singh Sooch ke liye daad. Bahut khoob.See Translation
  • Ram Saran Singh महोदय । फूल तो इकट्ठे हो गए पर भगवान मिला या नहीं संदेहास्पद है । वर्मा जी ने ठीक ही कहा कि जो रास्ता कहीं जाता ही नहींं । लेकिन यह भी है कि गुलशन यूँ ही उजड़ते भी रहेंगे । जन्म और जन्मांतर तक । धन्यवाद
  • S.p. Singh सिंह साहब और मेरे सभी मित्रों मैं भी यही कह रहा हूँ कि बगिया तो उजड़ गई पर ईष्ट न हिले न डुले और न खुश हुए। कुछ लोग इसे न मानें, पर है यह अकाट्य सत्य।
  • BN Pandey SHUBHAAN ALLAAAAH.
  • Dinesh Singh वाह बहुत ही शानदारSee Translation

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