Sunday, December 28, 2014

कुछ देर और ठहर जाते !!!

कलम से____
बेहतरीन यादों की तरह तुम क्यों आए हो
जाते ही क्यों हो, कुछ देर और ठहर जाते !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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