Tuesday, December 30, 2014

इंतजार रहता है तेरा, आखिरी वक्त तक लगता है

कलम से____
इंतजार रहता है तेरा,
आखिरी वक्त तक लगता है
तू आएगा बस अभी अभी
इसी आस पर टिकी है
जिन्दगी,
टकटकी लगाए देखा करती हूँ
गली के मोड़ तक
जहाँ तक देख पाती हूँ मैं !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay Kr Misra इन्तजार पर मार्मिक एहसास,
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
    दिल को छू गयी,
    श्री राधे राधे।
  • Lata Yadav कभी कभी intezaar बहुत लंबा हो जाता है सुंदर रचना के लिए बधाई
  • S.p. Singh धन्यवाद लता दी।
  • Rajan Varma माँ के लिये (शायद पिता श्री के लिये भी लागू हो कुछ cases में) तो बच्चों के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह जाता है उसका संसार- वोह (बच्चे) दिख जायें तो खिल उठती है- नहीं तो इंतज़ार ही नियति बन जाती है;
    पर बच्चे इस मर्म को कभी समझ ही नहीं पाते- जब समझ आती है तो माता श्री जा चुकी होती है;
    सुप्रभात्- राधे राधे भाई साॅ
  • Ram Saran Singh महोदय, आशा का संबल धैर्य को बाँधे रखता है । बड़ा सुंदर चिंतन है आपका ।
  • Neeraj Saxena Bahut sunder
  • Udaya Veer Singh माँ तो माँ है ...बच्चों की खुशियाँ ही उसकी दुनियाँ है
  • Udaya Veer Singh स्नेहिल प्रभात की शुभकामनायें सर !
  • Harihar Singh बहतरीन प्रस्तुति।सुप्रभात सुमंगलम्
  • S.p. Singh तहेदिल से शुक्रिया सभी चाहनेवालों का।
  • Dinesh Singh बहुत ही शानदार श्रेष्ठ
    23 hrs · Unlike · 1

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