Wednesday, December 24, 2014

रात काटे से नहीं कटती

कलम से_____
रात काटे से नहीं कटती
पूरी पूरी रात बस वो
दिखता है, सुला कर आये हैं
जिसे हम
वह आखों में समाया
रहता है
जिन्दगी हुई है भारी
कटेगी कैसे बिन उसके
समझ कुछ नहीं आता
करें तो क्या करें
कोई भी कुछ है नहीं बताता........
(बस और नहीं। बस और नहीं। शुभरात्रि.....)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//.
— with Puneet Chowdhary.
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