Friday, September 5, 2014

मुझे दूर बहुत क्षितिज के पास कुछ दिखता है

कलम से_____

मुझे
दूर बहुत
क्षितिज के पास
कुछ दिखता है
आसमां
साफ हो
सुबह सुबह का
वक्त हो
तो मुझे
अपने घर की
बालकनी से
दिल्ली का
लालकिला दिखता है
ज़ामा मस्जिद दिखती है
चादँनी चौक दिखता है
गुरुद्वारा शीशगंज दिखता है
गौरी गणेश मंदिर दिखता है
चिड़ियों का हस्पताल दिखता है
जहानाबाद दिखता है
मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है
मुझे यहाँ से
हिन्दोस्तां दिखता है..........

दोस्तों
मुझे
अपने घर की बालकनी से
इतिहास दिखता है।

वादे जो किए गए थे
गरीब और गरीबी से
भुखमरी से
जीवन की आपाधापी से
दुख और दर्द से
आखँ के एक आसूँ से
.................
................
और भी बहुत कुछ दिखता है।

मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with BN Pandey and Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से_____

मुझे
दूर बहुत
क्षितिज के पास
कुछ दिखता है
आसमां
साफ हो
सुबह सुबह का
वक्त हो
तो मुझे
अपने घर की
बालकनी से
दिल्ली का
लालकिला दिखता है
ज़ामा मस्जिद दिखती है
चादँनी चौक दिखता है
गुरुद्वारा शीशगंज दिखता है
गौरी गणेश मंदिर दिखता है
चिड़ियों का हस्पताल दिखता है
जहानाबाद दिखता है
मुझे 
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है
मुझे यहाँ से
हिन्दोस्तां दिखता है..........

दोस्तों
मुझे 
अपने घर की बालकनी से
इतिहास दिखता है।

वादे जो किए गए थे
गरीब और गरीबी से
भुखमरी से
जीवन की आपाधापी से
दुख और दर्द से
आखँ के एक आसूँ से
.................
................
और भी बहुत कुछ दिखता है।

मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in
  • You, Rajan VarmaBhawesh AsthanaSp Tripathi and 10 others like this.
  • BN Pandey SIR AAPNE SUCH KAHAA HAI AAP KO APANE MAKAAN SE SUB KUCHH DIKHATAA HAI......SAARAA DILLY SAARAA SHAHAR SAARA LOGO KA BHAGAM BHAAG..........LEKIN SIR SUCH KAHIYE KYAA ES NAZAARE ME AAP KO KOI BHI ....INSAAN DIKHA ? SUPRABHAT
    12 hours ago · Unlike · 2
  • Anil Khurana Sare jahan se achha Hindustan hamara.
    11 hours ago · Unlike · 1
  • Sp Tripathi प्रगति तो हुई पर जनसंख्या वृद्धि ने नीचे ही ढकेला । डेमोक्रसी मज़बूत हुई पर नेताओं के चरित्र ने नीचे ही ढकेला । पहले के लिए जनता ज़िम्मेदार दूसरे के लिए नेता । किसे दोषी कहें किसे न कहे ।See Translation
    8 hours ago · Unlike · 2
  • BN Pandey @ TRIPATHI SIR.......HUM LOG ROJ KUCHH N KUCHH COMMENT LIKHATE RAHATE HAI PER JIS DIN TRIPATHI SIR COMMENT LIKHATE HAI TO PHIR USME WAAKAI ME DUM HOTAA HAI.....YE BILKUL SAHI HAI KI HUM KISI DOSHI MAANE.....AATM CHINTUN KI JAROORAT HAI
    6 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma सर आप एक observer की हैसियत से ये सब निहारते हैं अौर चिंतन, मनन कर आनन्दित होते हैं; observer का रोल है- निर्लेप भाव से अवलोकन करना; भीड़ का हिस्सा न होते हुये भी भीड़ की हर छोटी से छोटी गतिविधि पर नज़र रखना, परंतु भावात्मक रूप से विरक्त रहना; अतः आपको भीड़ की आपधापी, हलचल, भुखमरी सब दिखनी चाहिये पर उसका दुख-दर्द, आँसू, किये-गये-वादे इत्यादि नहीं दिखने चाहिये- ये सब observer के धर्मानुकूल नहीं है
    3 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh राजन जी, 
    Actually हमारे फ्लैट के पश्चिमी हिस्से से दिल्ली का साफ नज़ारा दिखता है। हाँ, लालकिला तो नहीं पर जामामस्जिद की बुर्जियां और बीच का डोम साफ दिखता है। एक शाम के वक्त बस ऐसे ही ख्याल में इस कविता की भूमिका बन गई। जब नैट में फोटो चिपकाने के लिए ढ
    ...See More
    2 hours ago · Like · 1

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