कलम से_____
मुझे
दूर बहुत
क्षितिज के पास
कुछ दिखता है
आसमां
साफ हो
सुबह सुबह का
वक्त हो
तो मुझे
अपने घर की
बालकनी से
दिल्ली का
लालकिला दिखता है
ज़ामा मस्जिद दिखती है
चादँनी चौक दिखता है
गुरुद्वारा शीशगंज दिखता है
गौरी गणेश मंदिर दिखता है
चिड़ियों का हस्पताल दिखता है
जहानाबाद दिखता है
मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है
मुझे यहाँ से
हिन्दोस्तां दिखता है..........
दोस्तों
मुझे
अपने घर की बालकनी से
इतिहास दिखता है।
वादे जो किए गए थे
गरीब और गरीबी से
भुखमरी से
जीवन की आपाधापी से
दुख और दर्द से
आखँ के एक आसूँ से
.................
................
और भी बहुत कुछ दिखता है।
मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with BN Pandey and Puneet Chowdhary.
मुझे
दूर बहुत
क्षितिज के पास
कुछ दिखता है
आसमां
साफ हो
सुबह सुबह का
वक्त हो
तो मुझे
अपने घर की
बालकनी से
दिल्ली का
लालकिला दिखता है
ज़ामा मस्जिद दिखती है
चादँनी चौक दिखता है
गुरुद्वारा शीशगंज दिखता है
गौरी गणेश मंदिर दिखता है
चिड़ियों का हस्पताल दिखता है
जहानाबाद दिखता है
मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है
मुझे यहाँ से
हिन्दोस्तां दिखता है..........
दोस्तों
मुझे
अपने घर की बालकनी से
इतिहास दिखता है।
वादे जो किए गए थे
गरीब और गरीबी से
भुखमरी से
जीवन की आपाधापी से
दुख और दर्द से
आखँ के एक आसूँ से
.................
................
और भी बहुत कुछ दिखता है।
मुझे
अपने घर की बालकनी से
बहुत कुछ दिखता है।
//surendrapal singh//
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