कलम से____
शून्य
शून्य को निहारो
निहारते ही रहो
अन्तर्मन स्वयं अन्तर्यामी
तक जा पहुंचेगा
मिले तूझे सर्वस्व
जिसे तू चाहेगा ।
शून्य
हां, शून्य
प्रश्न थे अनेक,
प्रखर बुद्धि धारक,
स्वामी विवेकानंद जी ने धर्म संसद में
उपदेश दिया था,
मर्म मानवता का हिन्दू धर्म शास्त्रानुसार
जग को समझाया था,
संदेश शून्य का लोगों तक पहुंचाया था।
शाश्वत सच है,
धरा पर,
आकाशगंगा में,
वायुमंडल में,
अग्निपथ में,
जल,
जीवन का आधार है
विन उसके जीवन गति विहीन है।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
शून्य
शून्य को निहारो
निहारते ही रहो
अन्तर्मन स्वयं अन्तर्यामी
तक जा पहुंचेगा
मिले तूझे सर्वस्व
जिसे तू चाहेगा ।
शून्य
हां, शून्य
प्रश्न थे अनेक,
प्रखर बुद्धि धारक,
स्वामी विवेकानंद जी ने धर्म संसद में
उपदेश दिया था,
मर्म मानवता का हिन्दू धर्म शास्त्रानुसार
जग को समझाया था,
संदेश शून्य का लोगों तक पहुंचाया था।
शाश्वत सच है,
धरा पर,
आकाशगंगा में,
वायुमंडल में,
अग्निपथ में,
जल,
जीवन का आधार है
विन उसके जीवन गति विहीन है।
//surendrapal singh//
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