कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Friday, September 5, 2014
चलते चलते मुसाफिर दोस्त बन गए
कलम से_____
चलते चलते मुसाफिर दोस्त बन गए
पता ही न चला मोहब्बत कब हो गई !!!!!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
— with
Puneet Chowdhary
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Shubham Kapur
nice
7 hours ago
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S.p. Singh
Thanks.
7 hours ago
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BN Pandey
SHUBHAAN ALLAH......GHEE GUR KHAA KE MER JAAVAA.....KYAA BAAT
6 hours ago
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Harihar Singh
वाह वाह
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6 hours ago
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Rajan Varma
तुम साथ तो चलो पल-दो-पल, मोहब्बत तो बा-खुदा हो ही जायेगी; श्रीमति जी शायद इत्तेफ़ाक न रखती होंगी इस बात से- बावाजूद इसके कि एक बेहद खूबसूरत हमसफ़र सिद्ध हुई हैं वो इन ३२ वर्ष में- मैं जिसके लायक न था!
3 hours ago
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S.p. Singh
भगवान करे आपकी जोड़ी बनी रहे और मोहब्बत बदस्तूर चलती रहे चाहे भले इस पर इत्तेफ़ाक वो करें या न करें।आपकी लियाकत पर कोई सवाल हो ही नहीं सकता है।
3 hours ago
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Rajan Varma
अपनो का आशीर्वाद बेअसर कैसे हो सकता है
3 hours ago
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Sp Tripathi
सर,आपकी 2 लाइनर रचनाएँ अपने आप में सम्पूर्ण रचना होती है ।
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2 hours ago
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