Friday, September 5, 2014

कल दिन

कलम से____

कल दिन
में
तुम बरसे थे
शायद
मज़बूरी में बरसे थे
पर
अच्छे बरसे थे
असर
उसका दिखने लगा है
दूब फिर हरी होने लगी है
पेड़ो में कलियाँ खिलने लगीं है
भ्रमर दुबारा मंडराने लगे हैं
पराग इधर से उधर जाने लगे हैं
फूल बागों में महकने लगे हैं
वो भी वहाँ अब दिखने लगे हैं
पास आकर कहने लगे
चलो चल कर बैठते हैं
थोड़ी देर को ही सही
एक दूजे को नज़र भर देखते हैं !

जिन्दगी के सफर में
कब कहाँ फिर मिलेंगे
हाथों में हाथ ले लो
अबके मिले न जाने फिर कब मिलेंगे !!

अबके मिले न जाने........................!!!

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

कल दिन 
में 
तुम बरसे थे
शायद
मज़बूरी में बरसे थे
पर
अच्छे बरसे थे
असर
उसका दिखने लगा है
दूब फिर हरी होने लगी है
पेड़ो में कलियाँ खिलने लगीं है
भ्रमर दुबारा मंडराने लगे हैं
पराग इधर से उधर जाने लगे हैं
फूल बागों में महकने लगे हैं
वो भी वहाँ अब दिखने लगे हैं
पास आकर कहने लगे
चलो चल कर बैठते हैं
थोड़ी देर को ही सही
एक दूजे को नज़र भर देखते हैं !

जिन्दगी के सफर में
कब कहाँ फिर मिलेंगे
हाथों में हाथ ले लो
अबके मिले न जाने फिर कब मिलेंगे !!

अबके मिले न जाने........................!!!

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment