Monday, September 28, 2015

हाथ दोस्ती का हर बार हमने जब जब है बढ़ाया




हाथ दोस्ती का हर बार हमने जब जब है बढ़ाया
हर बार धोखा ही तेरे हाथों है खाया
बड़े भाई होने का फर्ज़ था हमने जो बखूबी निभाया
संभलने के मौके अब न आयेंगे यारा
मौला भी तुझे अब बचा न पायेंगे जाना....



©सुरेंद्रपालसिंह  2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment