Thursday, September 3, 2015

कुहू के एहसास:-

कुहू के एहसास:-
इक लड़की थी भीगी भीगी सी
मन में ड़र लिए हुई सी
कई दिनों की भूखी सी
पालीथीन से बचती बचाती सी
आई इक दुकान पर
मांगने कुछ खाने को
पैसे थे पास नहीं
दुकानदार को मन भा गई
चट से छोले-भटूरे दिये उसे
खाके जल्दी जल्दी भागी
छम छम करती रही बरसात में
भीगी भागी सी वो इक लड़की
रहती है मेरे एहसास में
— with Puneet Chowdhary.
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