Thursday, September 3, 2015

जब से यह जाना है कि तुम्हारी नज़र है मुझ पर देखती हो



कलम से____
जब से यह जाना है कि
तुम्हारी नज़र है मुझ पर
देखती हो 
अपनेपन के अंदाज में
पढ़ती हो मेरी हर रचना को
लफ्ज दर लफ्ज
समझने की कोशिश करती हो
जो मैं नहीं कहता
मतलब वो
समझती हो
तब से मैं भी
एतिहात बरतता हूँ
बेफिक्र रहता था
फिक्र अब करता हूँ
अपनी हर पोस्ट पर
ध्यान बहुत देता हूँ
कहीं कुछ छूट न जाए
कुछ ऐसा न हो जाये
कुछ वैसा न हो जाये
कुछ अनकहा रह न जाये
हर कोने से देखता हूँ
तराशता हूँ बार बार
एक शहकार की तरह
जो तुम्हें पसंद हो
तुम्हारी नज़रो को दिखे
ख्याल इसका करता हूँ
पहले ऐसा न था मैं
तुम्हारा ख्याल
अब हर बात में रखता हूँ
बदलाव जो आया है यह
क्या तुम जानती हो?
बताओ तो जरा
मन के भीतर की बात
तो बात आगे बढ़े
कहानी कुछ आगे चले
मैं चलूँ, तू चले, जमाना चले......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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