Thursday, September 3, 2015

ड़गमगाती नइय्या है खिब्इया है खोया खोया।





कलम से____
बहुत सोचता हूँ स्वयं पर गर्व करूँ
पर कर नहीं पाता
बहुत सोचता हूँ कि देश पर गर्व करूँ
पर कर नहीं पाता
बहुत सोचता हूँ अपने नेताओं पर गर्व करूँ
कर नहीं पाता
विश्वास अब है बड़ा डगमगाता
कुछ भी करना चाहूँ
अब कर नहीं पाता
ड़गमगाती नइय्या है
खिब्इया है खोया खोया।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

  • Rajender Gaur जंग खाई जंजीर का हिस्सा हूँ, कब तक जुड़ा हूँ , पता नही ?
    Like · Reply · 1 · July 5 at 4:20pm
  • BN Pandey Sir Kyaa Kare... Gita me Likhaa HAI... Apane Karmo KAA Phal Khud hi Bhoganaa Hotaa Hai... .. Hum Log Apane Desh Ke Bhavishy ko Khud Hi Banaate Bigaarate HAI.... Sabr Kariye... Aage Se Achchhe Karm Karenge... .. Vandemataram...
    Like · Reply · 2 · July 5 at 4:24pm
  • Rajan Varma जिसके खेवनहार के पास न कोई नक्शा हो ना कोई पतवार,
    कैसे करे वोह भरोसा कि पहुँचेगा सुरक्षित पार- 
    जबकि कश्ती में हों डुबोने वाले एक हज़ार!!
    Unlike · Reply · 4 · July 5 at 5:41pm
  • Ram Saran Singh महोदय । रचना में चिंता है, बेचैनी है, मन में हूक सी उठ रही है कि किस पर भरोसा किया जाए, किसके हाथ बागडोर सौंपी जाए । अँधेरी सुंरंग है, रोशनी का पता नहीं है । नाव बह रही है, हवाएँ कहाँ ले जाएँगी । ये सारी चिंताएँ जायज़ हैं । तब मन करता है कि इतना कह कर चुप हो जाऊँ कि " ख़ुद ब ख़ुद गैब से हो जाएगा सामाँ कोई" । धन्यवाद ।
    Unlike · Reply · 3 · July 5 at 9:25pm
  • Dinesh Singh भरोसा किस पर करे समझ में आता नहीं 
    सन्यासियों की भीड़ में चोर नजर आता नहीं- smile emoticon
    Unlike · Reply · 1 · July 6 at 11:11am · Edited
  • Balbir Singh Bharosa kis pe karun samajh nahin aata bas uss ek pe bharosa kar har kam kiye ja raha hoon main
    Unlike · Reply · 1 · July 6 at 6:50pm


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