Thursday, September 3, 2015

झोंपड़ी के टक्कर में हवेली हार जाती है !!!

जिंदगी कहीं जीतते जीतते हार जाती है
जिदंगी कहीं हारते हारते जीत जाती है
कमरों में रहने वाले बेफिक्र सुख़नवर
झोंपड़ी के टक्कर में हवेली हार जाती है !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ram Saran Singh महोदय आप कभी कभी एकदम से ज़िंदगी के फ़लसफ़े में तैरने लग जाते हैं । हम लोग सोचने पर विवश हो जाते हैं कि वाक़ई यह क्या पहेली है । जिसकी चाह में हम भटकते हैं दर बदर, उसे क्या ख़बर है कि हम तड़पते हैं किस क़दर । ऐसे विचार चिंतन की लौ जला जाते हैं पर विचार मंथन के बाद फिर वही शून्यता और नैराश्य छाने लगता है । अनसुलझी पहेली है ज़िंदगी । धन्यवाद ।
  • Mohammed Mobin कितने राज दफ्न हैं इस हवेली में आओ चल कर देखें . के बुझे हुए चिरागों के निशा बाकी है या फिर मिट गये . आओ चलकर देखे .
  • Dinesh Singh वाह बहुत ही सुन्दर पेशकश

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