Thursday, September 3, 2015

मिलते हैं लोग दाग दिल के छिपाने वाले लोग मिलते हैं कहाँ अब पुराने वाले



कलम से____
मिलते हैं लोग दाग दिल के छिपाने वाले
लोग मिलते हैं कहाँ अब पुराने वाले
तू भी तो मिलता है मतलब से मिलता है
लग गये हैं तुझे रोग सभी वो जमाने वाले
मिन्नतें बेकार गईं दुआयें भी बेअसर हुईं
लौट के आते नहीं है छोड़के जाने वाले
पार करता नहीं आग का दरिया अब कोई
थे वो कोई और डूबके मरने वाले
अब तो सभी मिलते हैं दिल का दुखाने वाले
जाने किस राह गये वो जाने वाले
दर्द उनका जो करते हैं फुटपाथ पर बसर
क्या समझ पायेंगे महलों में रहने वाले
देखो पी रहा है वो अकेला बैठा मयखाने में
कहाँ खो गये वो मय आँखों से पिलाने वाले
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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