कलम से_____
आजकल के हालात पर लोग तफ्सरा जो करते हैं मज़ाक में यह कहने लगे हैं
आखिर माज़रा यह क्या है अब तो इन्सान भी हैवानों सा सुलूक करने लगे हैं।
अपनी तहज़ीब इन्सानियत की मिसाल जो कभी हुआ करती थी
ऐसा क्या होगया है अब खुले आम इज्जत बेआबरू हुआ करती है।
कहीं कुछ तो गडबड है हमारी समझ के शायद जो बाहर है
शरीफ घरों की लडकियां को इज्जत बचाना हुआ अब मुश्किल है।
एक शराबी से गुफ्तगू हुई वो बात जानकर ज़नाब हम हैरान हो गए,
हम तो शराबी हैं कहा उसने वाकी के लोग किस लिए हैवान हो गए।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and 2 others.
आजकल के हालात पर लोग तफ्सरा जो करते हैं मज़ाक में यह कहने लगे हैं
आखिर माज़रा यह क्या है अब तो इन्सान भी हैवानों सा सुलूक करने लगे हैं।
अपनी तहज़ीब इन्सानियत की मिसाल जो कभी हुआ करती थी
ऐसा क्या होगया है अब खुले आम इज्जत बेआबरू हुआ करती है।
कहीं कुछ तो गडबड है हमारी समझ के शायद जो बाहर है
शरीफ घरों की लडकियां को इज्जत बचाना हुआ अब मुश्किल है।
एक शराबी से गुफ्तगू हुई वो बात जानकर ज़नाब हम हैरान हो गए,
हम तो शराबी हैं कहा उसने वाकी के लोग किस लिए हैवान हो गए।
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