Friday, September 5, 2014

क्राइम और क्रिमिनल्स

कलम से____

क्राइम और क्रिमिनल्स
को डील करते करते
हम भी क्रिमिनल हो गए हैं
शासन करते करते
हम भी शासित हो गए हैं।

भावनाएं हमारी मर गईं हैं
इन्सानियत अब रह नहीं गई है
हर चीज में बस क्राइम ही क्राइम दिखता है
इन्सान को ढूढ़ंते हैं
मुर्दे मिलते हैं।

दोस्तों, माफ करना हमको
हम भी इन्सान थे
कभी पहले
माया मुलायम के फेर में पड़ कर
हम अब हैवान हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश के
एक पुलिस आफीसर की जुबानी
उसकी कहानी
है दर्द से भरी
करे क्या कोई
सुनता ही नहीं है
दिन रात बस यही दिख रहा है
इन्सान यहाँ पिस रहा है
इन्सान यहाँ यूँ ही मर रहा है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

क्राइम और क्रिमिनल्स
को डील करते करते
हम भी क्रिमिनल हो गए हैं
शासन करते करते
हम भी शासित हो गए हैं।

भावनाएं हमारी मर गईं हैं
इन्सानियत अब रह नहीं गई है
हर चीज में बस क्राइम ही क्राइम दिखता है
इन्सान को ढूढ़ंते हैं 
मुर्दे मिलते हैं।

दोस्तों, माफ करना हमको
हम भी इन्सान थे
कभी पहले
माया मुलायम के फेर में पड़ कर
हम अब हैवान हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश के
एक पुलिस आफीसर की जुबानी 
उसकी कहानी
है दर्द से भरी
करे क्या कोई
सुनता ही नहीं है
दिन रात बस यही दिख रहा है
इन्सान यहाँ पिस रहा है
इन्सान यहाँ यूँ ही मर रहा है।

//surendrapal singh//

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