Sunday, March 8, 2015


कलम से____
सांसों का आना जाना चलता रहा
एक बस तुम न आए
अरमानों की दुनियाँ सजती रही
बस एक तुम न आए
तमन्ना यही थी दर्शन प्रभु दोगे अवश्य
बस एक तुम न आए
मानूँगा नहीं ऐसे मैं तुमको आना ही होगा
प्राण मेरे हैं तुझमें समाए हुए....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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